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सीजनल बीमारियों में ही हांफे तीसरी लहर के इंतजाम

प्रदेश के अस्पतालों की अधूरी तैयारियों ने बढ़ाई चिंता

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भोपाल. कोरोना की तीसरी लहर से निपटने किए गए इंतजाम बच्चों की सीजनल बीमारियों में ही हांफने लगे हैं। प्रदेश में वायरल, डायरिया और निमोनिया जैसी बीमारियां बच्चों को ज्यादा प्रभावित कर रही हैं। इसके चलते ज्यादातर सरकारी अस्पताल फुल हैं। एक-एक बिस्तर पर दो-दो मरीजों को भर्ती किया जा रहा है।

यह स्थिति तब है जब सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए प्रारंभिक तैयारियों का दावा किया था। इस सीजनल बीमारियों ने सारे इंतजामों की पोल -खोल दी है। राजधानी के हमीदिया अस्पताल में बच्चा वार्ड के सभी बेड और एसएनसीयू फुल हैं। यहां 150 से ज्यादा बच्चे भर्ती हैं। जेपी जिला अस्पताल में भी 100 से ज्यादा बच्चे भर्ती हैं।

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इसी तरह इंदौर में निमोनिया, उल्टी-दस्त और बुखार जैसी बीमारियों की वजह से भर्ती बच्चों को फिलहाल चाचा नेहरू बाल अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है। यहां अभी 70 से ज्यादा बच्चे भर्ती है। कुछ बच्चे आइयीयू में हैं। यही हाल ग्वालियर के केआरएच अस्पताल का है। यहां 160 पलंग पर 306 बचे भर्ती हैं। जबलपुर में भी यही हाल है।

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प्रमुख शहरों की स्थिति
भोपाल: हमीदिया में बच्चों के लिए 80 बिस्तरों का आइसीयू बनना था। शहर में आठ ऑक्सीजन प्लांट तैयार होने थे। छह तैयार हैं पर शुरू नहीं हुए। सीएमएचओ प्रभाकर तिवारी का कहना है कि काटजू में 200 बिस्तरों का नया अस्पताल शुरू हो चुका है।

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इंदौर: हुकुमचंद अस्पताल में 20 बिस्तर का आइसीयू और 40 सामान्य बिस्तर तैयार हैं, लेकिन ऑक्सीजन प्लांट नहीं लगे हैं। सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या का कहना है कि पीसी सेठी अस्पताल में बच्चों के लिए आइसीयू तैयार है।